दोस्तों राजनीति एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें कोई किसी का दोस्त नहीं होता और कोई किसी का शत्रु नहीं होता। इसका एक उत्तम उदाहरण आज महाराष्ट्र की राजनीति में देखने को मिला। महाराष्ट्र की सियासत में भारी उलट पलट देखने को मिल रही है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महाराष्ट्र में इस समय महा विकास आघाडी यानी शिवसेना राष्ट्रवादी कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की गठबंधन वाली सरकार है। बीते काफी समय से इन तीनों दलों की यह सरकार स्थिर बनी हुई है क्योंकि इनके भीतर ही बगावती तेवर दिखाने वाले विधायक पाए गए हैं। अब यह बात खुलकर उजागर भी हो गई है।
जानकारी के मुताबिक शिवसेना के मंत्री रह चुके एकनाथ शिंदे शिवसेना से बागी हो चुके हैं। एकनाथ शिंदे ना सिर्फ खुद बल्कि उन्होंने अपने साथ 25 और शिवसेना विधायकों को शामिल कर लिया है। जानकारी के मुताबिक एकनाथ शिंदे समेत शिवसेना के 26 विधायक इस समय सूरत के एक होटल में रुके हुए हैं। वहीं शिवसेना के मुख्यमंत्री और बड़े नेता एकनाथ शिंदे और बागी विधायकों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन कोई भी विधायक रिचेबल नहीं है। ऐसे में अब शिवसेना का सिर दर्द इतना ज्यादा बढ़ गया है कि किसी भी समय महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है।
जानकारी के मुताबिक एकनाथ शिंदे बीते काफी लंबे समय से शिवसेना के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शिवसेना के बड़े नेता संजय राउत के व्यवहार से नाखुश थे। जब से शिवसेना ने बीजेपी के साथ अपना गठबंधन तोड़ कर कांग्रेस के साथ हाथ मिलाया है तब से ही शिवसेना के भीतर के कई सारे विधायक शिवसेना के आलाकमान के द्वारा लिए गए इस निर्णय से खुश नहीं है। शिवसेना में एक घूंट ऐसा भी है जो आज भी बालासाहेब ठाकरे के कट्टर हिंदुत्ववादी विचारों को लेकर चलता है। उसी गुट का एक सबसे बड़ा प्रमुख चेहरा है एकनाथ शिंदे।
एकनाथ शिंदे के द्वारा अचानक इतना बड़ा कदम उठाए जाने के बाद महाराष्ट्र की सियासत में हलचल तेज हो गई है। बता दें कि 10 दिन के अंदर यह शिवसेना को लगा हुआ तीसरा बड़ा झटका है। 10 दिन पहले राज्यसभा के लिए वोट डाले गए जिसमें बीजेपी के तीनों उम्मीदवार विजई हो गए। दूसरा झटका बीजेपी को कल ही लगा जब महाराष्ट्र के विधान परिषद के चुनाव हुए और महा विकास आघाडी को केवल 5 और बीजेपी ने अकेले के दम पर 5 सीटें हासिल कर ली। इन सारी गतिविधियों के बीच अब देखने वाली बात यह होगी कि महाराष्ट्र की सियासत में अचानक उठी यह हलचल कब और कहां जाकर रुकेगी।